स्व-बनिया आंदोलन
क्या रसोई की छोटी-मोटी ज़रूरियात के लिए आप वाहन से इतनी दूर पधारेंगे? दे शीय व्यवसायों के स्वार्थ की रक्षा के नाम पर पिछले कई सालों से जगह-जगह एक पाखण्ड का मंचन हो रहा है। दावा यह है कि यह स्वदेशी जागरण या आंदोलन है। परन्तु इन मंचों पर एकत्र वक्ताओं और नीचे जुटे श्रोताओं पर एक नज़र दौड़ाइए तो यह स्वदेशी नहीं बल्कि स्व-बनिया अभियान सा प्रतीत होता है। बोलने वाले दुकानदार, सुनने वाले भी दुकानदार; या फिर ऐसी राजनैतिक पार्टी के लोग जो पार्टी मूलतः इन्हीं दुकानदारों के चंदे से चलती है। प्रतिपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी इस मामले में कितना पाखण्डी है यह इस रपट ( http://m.indianexpress. com/story_mobile.php?storyid= 882221 ) से जानिये। वैसे आज भारतीय जनता पार्टी विपक्ष की भूमिका उसी प्रकार निभा रही है जैसे सन् २००२ ई० में कांग्रेस ने निभाई थी। उस वर्ष १६ दिसंबर को आज की सत्तारूढ़ पार्टी ने मुख्य प्रतिपक्ष के नाते संसद में कैसी शंका जताई थी यह इन उद्धृतियों ( http://www. indiankanoon.org/doc/1378142/ ) से जानिये। इस मामले में सरकार का यदि कोई दोष है तो वह...